पूर्वी मुंबई उपनगर मुलुंड में एक 'चॉल' से शनिवार 22 जुलाई को एक दलदली मगरमच्छ के बच्चे को स्थानीय सांप पकड़ने वालों ने बचाया गया। यह मगरमच्छ के बच्चे को वनविभाग को सौंप दिया गया हैं।
वनविभाग ने इस मगरमच्छ को चिकित्सीय जांच और पुनर्वास के लिए रेसकिंक एसोसिएशन फॉर वाइल्डलाइफ वेलफेयर को भेज दिया गया। इह सरीसृप की जांच होने के बाद उपचार के बाद उसे प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया जाएगा।
यह अंदाज लगाया जाता हैं की भारी बारिश के कारण भूखा मगरमच्छ का बच्चा विस्थापित हो गया हो। महाराष्ट्र वन विभाग ने अपनी जांच शुरू कर दी है की यह सरीसृप अपने प्राकृतिक आवासों से इतनी दूर कैसे आ पाया।
वाइल्डलाइफ वार्डन पवन शर्मा के अनुसार, इस मौसम में मगरमच्छ के अंडे फूटते हैं और बच्चे पैदा होते हैं, यह बच्चे पानी के आवास के पास पाए जाते हैं, इसलिए इतना छोटा मगरमच्छ मिलना अजीब बात है।
वन्यजीवों का अपनी प्राकृतिक आवास से विस्थापन हो सकता है इसलिए शायद मगरमच्छ के बच्चे को शहर में पाया गया। और दुसरी बात यह हैं की अवैध वन्यजीव व्यापार बढ़ रहा हैं, तों इस घटना के पीछे यह एक कारण भी हो सकता हैं।
इससे पहले भी शहरों में मगरमच्छ दिखाई देने की कईं घटनाएं हुई हैं। और उन्हें बचाया भी गया हैं।
"मुंबई के आसपास के इलाकों में वन्यजीवों के लिए जैव विविधतासे भरे क्षेत्र हैं। इस वजह से मानव और कईं वन्यजीवों के बीच संपर्क होता रहता हैं।", वाइल्डलाइफ वार्डन पवन शर्मा ने बताया।
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